खड़गे ने की महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले नेताओं की आलोचना
मल्लिकाअर्जुन खड़गे ने महाकुंभ में डुबकी लगाने वाले भाजपा नेताओं पर तंज ऐसे समय काश है, जब दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग होने में केवल एक हफ्ता रह गया है, जाहिर है कि लड़के यूं ही नहीं यह बयान दे रहे हैं, उन्होंने एक तीर से दो शिकार किए हैं. लेकिन नुकसान तो कांग्रेस का भी हुआ है. सोमवार 27 जनवरी को देश में दो घटनाएं सबका ध्यान अपनी और खींचती है. एक तरफ देश के गृहमंत्री अमित शाह देश के नामी गिरामी हिंदू संतो और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ-साथ प्रयागराज महाकुंभ में संगम में डुबकी लगा रहे थे तमाम तरीके के हिंदू कर्मकांड करते हुए, शाह और योगी देश के हिंदुओं को राजनीतिक संदेश दे रहे थे कुछ देर बाद ही कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे मुंह में इन नेताओं पर तंजकाश रहे थे जब पर सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि खड़गे का हमला परोक्ष रूप से इंडिया गुट के साथियों पर भी था क्योंकि तो समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी दो दिन पहले लगाई थी खिड़की कहते हैं की गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी खत्म नहीं होगी भाजपा-RSS पर निशाना सजाते हुए खड़गे ने कहा वह कहते हैं. हर मस्जिद के नीचे शिवलिंग मत ढूंढो लेकिन लोगों को ऐसा करने के लिए उकसाते रहते हैं गंगा में डूब के लगाने के लिए भाजपा नेताओं में फोर्ड मची है गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी दूर नहीं होती मैं किसी संस्था को ठोस नहीं पहुंचाना चाहता खादी के कांग्रेस के सबसे बड़े नेता हैं अगर वह इस तरह की बात करते हैं तो जाहिर है कि उसे कांग्रेस का स्टैंड ही माना जाएगा लिए देखते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष के इस भाषण के क्या मायने हो सकते हैं.
क्या गंगा में डुबकी नहीं लगाने से गरीबी मिट जाएगी
सवाल उठता है, कि मल्लिकार्जुन को क्या कांग्रेस का इतिहास नहीं पता है. खड़गे का तंज गैर कांग्रेसी दलों पर है पर डुबकी तो संगम में प्रियंका गांधी ने भी लगाई थी. गंगा में डुबकी तो पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने भी अपनी जानू दिखाते हुए लगाई थी हां यह बात अलग है कि उसे समय प्रयागराज में कुंभ नहीं चल रहा था नेहरू ने अपनी माता के निधन के बाद हिंदू कर्मकांड को पूरा करने के लिए गंगा में डुबकी लगाई थी तो क्या मान लिया जाए कि देश में तब गरीबी नहीं थी इतना ही नहीं नेहरू ने 1954 के कुंभ में प्रयागराज आए थे और गंगा का पानी हाथ में लेते हुए तस्वीर भी खींची थी खड़गे की बात को मान लिया जाए. तो हो सकता है कि नेहरू ने इसलिए डुबकी नहीं लगाई होगी कि इसके इस देश की गरीबी तो काम नहीं होगी पर अंग्रेजों के जाने के बाद देश की आर्थिक स्थिति लगातार खराब होती गई. आजादी मिलने के समय दुनिया भर में कुल व्यापार में भारत का हिस्सा 3% के करीब हुआ करता था. जो 1991 तक आते-आते आधे प्रतिशत से भी काम हो गया था तो क्या मान लिया जाए कि खड़गे ने जो कहा उसका उल्टा हो रहा है. इस देश में हिंदू हिंदुत्व का उभार करते या चुनावी राजनीति का दबाव की गांधी फैमिली की ही प्रियंका गांधी ने 2021 में गंगा में डुबकी लगाई.
क्या कांग्रेस का दिल्ली चुनाव को ध्यान में रखकर यह बयान आया
अब सवाल उठता है, कि मल्लिका अर्जुन खड़गे का यह बयान ऐसे समय क्यों आया जब दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए वोट पढ़ने में केवल एक ही हफ्ता रह गया है. दरअसल कांग्रेस दिल्ली में अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है दिल्ली विधानसभा चुनाव में इंडिया गुट के साथी दलों ने कांग्रेस को ठेंगा दिखा दिया है.
TMC समाजवादी पार्टी…
TMC समाजवादी पार्टी शिवसेना उद्योग अच्छा आदि ने आम पर आदमी पार्टी को दिल्ली में सपोर्ट किया है. यह कांग्रेस के लिए बहुत शर्मिंदगी की स्थिति है पर कांग्रेस इस मौके के रूप में देश देख रही है. इसमें कोई दो राय नहीं है, कि कांग्रेस दिल्ली में अगर आम आदमी पार्टी में और यूपी में समाजवादी पार्टी को खत्म नहीं करती है, तो उसे उसकी जमीन वापस भी नहीं मिल सकतेगी इस रणनीति के तहत कांग्रेस ने खुलकर दलित कार्ड और मुस्लिम कार्ड खेलना शुरू कर दिया है दिल्ली में अगर दलित और मुसलमान के वोट कांग्रेस को मिल जाते हैं तो आम आदमी पार्टी की कहानी खत्म हो जाएगी खड़गे ने कुंभ के खिलाफ यह बयान मुंह मैं दिया है. जो डॉक्टर अंबेडकर का जन्म स्थान है जाहिर है कि अमित शाह के सांसद वाले बयान को कांग्रेस मुद्दा बनाए रखना चाहती है इसलिए कि यह तब दिया गया जब अमित शाह हिंदू कर्मकांड करते हुए देश को देख इस तरह कांग्रेस द्वारा वार कर रही है यानी कि एक तीर से भी बीजेपी और आम आदमी पार्टी दोनों को ही नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही है.
तीन मुसलमान वोटर को संदेश दिया जा रहा
इस बयान के जरिए खड़गे के खुद को अंतिम हिंदू बनकर मुस्लिम वोटर्स को लुभाने का भी प्रयास कर रहे हैं खड़गे जानते हैं की अंतिम हिंदू बनकर वह बीजेपी के वोट तो नहीं कट पाएंगे पर अरविंद केजरीवाल के सामने कांग्रेस को मुसलमान का सबसे बड़ा हितेषी जरूर साबित कर सकेंगे दुनिया जानती है कि अरविंद केजरीवाल सॉफ्ट हिंदुत्व के बहुत बड़े बेरोजगार हैं. राम मंदिर का दर्शन हो या बजरंगबली की भक्ति की प्रदर्शती हिंदू पुजारी के लिए वेतन की घोषणा हो या इंग्लैंड को भारतीय रुपए पर स्थापित करने की मांग हो उनका हर कदम भारत के हिंदुत्व को सपोर्ट करता है कांग्रेस एंटी हिंदू बनकर मुस्लिम समर्थक होने का खेल खेल रही है जाहिर है कि इससे बीजेपी का नुकसान कम और आम आदमी पार्टी का नुकसान ज्यादा होने वाला है.
क्या कांग्रेस राम मंदिर के बाद एक बार फिर गलती कर रही है
कांग्रेस नेता एके एंटनी ने 2014 की हार के बाद कांग्रेस में कुछ बदलाव लाने की बात वकालत की थी अंतिम एंटनी का कहना था, कि कांग्रेस की छवि एंटी हिंदुस्तान वाली हो गई है इससे पार्टी को छुटकारा दिलाना चाहिए पर ऐसा नहीं हो सका पिछले 10 सालों में ऐसे कई मौके आए जब कांग्रेस सॉफ्ट हिंदुत्व का सहारा लेती देखी पर शायद काम बना नहीं अब कांग्रेस ने अपनी रणनीति बदल दी है, दरअसल कांग्रेस जान गई है. कि अभी कुछ समय के लिए उसे बीजेपी के खिलाफ संघर्ष की बजाय आम आदमी पार्टी समाजवादी पार्टी टीएमसी वगैरा से संघर्ष करना होगा कांग्रेस जानती है, कि उसके परंपरागत वोटर से दलित और मुस्लिम वोटर ही है, कांग्रेस की पूरी तैयारी पहले अपने कर वोटर को अपने वाले में लाना है यही कारण है, कि पहले राम मंदिर अब कुंभ से पार्टी डर बना रही है जब अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल जैसे लोग हिंदुत्व को लेकर सॉफ्ट दिख रहे हैं. कांग्रेस चाहती है, की अंतिम हिंदू की छवि बनाकर कांग्रेस मुसलमान को आम आदमी पार्टी और समाजवादी पार्टी से अपने पाले में लाया जाए.
खड़गे का पूरा बयान क्या है
मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि भाजपा नेताओं में गंगा स्नान की होड़ लगी है लेकिन इससे कोई गरीबी दूर नहीं होने वाली है कांग्रेस कभी भी धर्म के नाम पर शोषण को बर्दाश्त नहीं करने वाली है अब खड़गे के इस बयान पर विवाद तेज हो गया है माना जा रहा है कि भाजपा इसे बड़ा मुद्दा बन सकती है जानकारी के लिए बता दें कि भाजपा के तमाम बड़े नेता इस समय प्रयागराज जाकर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं.