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घट गए अमूल दूध के दाम जानिए क्यों हुई कीमत कम?

घट गए अमूल दूध के दाम जानिए क्यों हुई कीमत कम?

घट गए अमूल दूध के दाम जानिए क्यों हुई कीमत कम?

गुजरात सहकारी दूध विपणन में महासंघ ने आज घोषणा की है कि अमूल दूध की कीमतों में ₹1 की कमी की गई है यह फैसला उत्पादन लगा लागत में काफी कमी और बाजार की मांगों को ध्यान में रखते हुए लिया गया है नए मूल्य निर्धारण के अनुसार दिल्ली में अमूल दूध की कीमत ₹68 प्रति लीटर से घटकर 67 रुपए की कर दी गई है जबकि अमूल ताजा की कीमत अब ₹56 प्रति लीटर से घटकर 55 रुपए हो जाएगी.

GCCMF के प्रबंध निदेशक चयन मेहता ने कहा

उन्होंने बताया कि यह कदम उपभोक्ताओं को राहत देने और दूध की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है, उन्होंने कहा हमने उत्पादन लागत में कमी और बेहतर प्रबंधन को के चलते यह फैसला लिया है, हमारा लक्ष्य हमेशा से उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दूध उपलब्ध कराना रहा है दम कटौती का सीधा असर बाजार पर पड़ेगा जिससे अन्य डेयरी उत्पादों की कीमत पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है, उपभोक्ता इस कटौती का स्वागत कर रहे हैं. खासकर ऐसे समय में जब महंगाई ने आम आदमी के बजट को प्रभावित किया है अमूल दूध की कीमतों में कमी से कंपनी को बाजार
उन्होंने बताया कि यह कदम उपभोक्ताओं को राहत देने और दूध की उपलब्धता को बढ़ाने के लिए उठाया गया है, उन्होंने कहा हमने उत्पादन लागत में कमी और बेहतर प्रबंधन को के चलते यह फैसला लिया है, हमारा लक्ष्य हमेशा से उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर दूध उपलब्ध कराना रहा है दम कटौती का सीधा असर बाजार पर पड़ेगा जिससे अन्य डेयरी उत्पादों की कीमत पर भी सकारात्मक प्रभाव देखने को मिल सकता है, उपभोक्ता इस कटौती का स्वागत कर रहे हैं. खासकर ऐसे समय में जब महंगाई ने आम आदमी के बजट को प्रभावित किया है अमूल दूध की कीमतों में कमी से कंपनी को बाजार वजह से कंपटीशन बनाए रखने में मदद मिलेगी अन्य डेरी ब्राइट से जैसे वेदांत दूध रतन और सुरभि को भी इस बदलाव का असर महसूस हो सकता है क्योंकि उपभोक्ता अब बेहतर मूल्य पर क्वालिटी वाले उत्पादों की तलाश करेंगे.

कारोबार में बढ़ोतरी….

पीटीआई पर छपी रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2023-24 जीसीएमएमएफ का कारोबार 8% बढ़कर 56,445 करोड रुपए हो गया है, मेहता ने पहले कहा था कि सरकारी श्रीमती को मजबूत मांग के दम पर चले वित्त वर्ष 2024-25 में राजस्व में दोहरे अंकों की वृद्धि की उम्मीद है जीसीएमएमएफ ने गति वित्त वर्ष 2023-24 में औसतन प्रतिदिन 310 लाख लीटर दूध का प्रशसकरण किया, इसकी कुल वार्षिक दूध प्रशसकरण समतल लगभग 500 लाख लीटर है घरेलू बाजार के अलावा करीब 50 देश को दूध उत्पादन को निर्यात कर रहा है दूध का उत्पादन करने वाले गांव के सभी किसान डेयरी को कोऑपरेटिव सोसाइटी में मेंबर होते हैं यह मेंबर रिप्रेजेंटिस्ट को चुनते हैं जो मिलकर जिला मिल्क यूनियन को मैनेज करते हैं.

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लाखों लीटर दूध कैसे इकट्ठा होता है

गुजरात के 33 जिलों में 18600 मिल्क को ऑपरेटिव सोसाइटीज और 18 जिला यूनियन है. इन सोसाइटीज से 36 लाख से ज्यादा किस जुड़े हैं जो दूध का उत्पादन करते हैं दूध को इकट्ठा करने के लिए सुबह 5:00 से ही चहल-पहल शुरू हो जाती है किस मवेशियों का दूध निकालते हैं और गेम्स में बढ़ते हैं. उनके बाद दूध को कलेक्शन सेंटर पर लाया जाता है हर किसान के दूध के आउटपुट को कंप्यूटर में से किया जाता है किसने की आमदनी दूध की मात्रा और फेंट कंटेंट पर निर्भर करती है किसानों को हर महीने एक निश्चित तारीख पर पेमेंट किया जाता है किसानों के लिए एक ऐप भी बनाया गया है, जिसमें उन्होंने दूध की मात्रा और फट से लेकर पेमेंट की जानकारी मिलती है पेमेंट सीधे किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर किया जाता है अमूल से जुड़े अन्य तथ्य अमूल के पिरामिड मॉडल में सबसे नीचे मिल्क प्रोड्यूसर्स आते हैं खर्च होने वाले हर एक रुपए में से करीब 86 पैसे उनके मेंबर को दिए जाते हैं और को कोऑपरेटिव बिजनेस चलाने के लिए और को कोऑपरेटिव बिजनेस चलाने के लिए 14 पैसे रखे जाते हैं क्वालिटी ज्यादा होने से यह रकम बहुत बड़ी हो जाती है इसमें प्रमुख अध्यक्ष भी है.

जिला मिल्क यूनियन का प्रमुख अध्यक्ष

इसमें एक अध्यक्ष होता है, जो हर महीने मीटिंग करता है यहां से लोगों को ऑपरेटिव बिजनेस का जायजा लेते हैं इसमें एक्सपेंस प्लान नई मशीनरी खरीदने और सदस्यों को बोनस देने जैसे मुद्दे पर चर्चा होती है, प्रोडक्टिविटी में सुधार लाने के लिए मवेशियों की सेहत का ध्यान रखा जाता जाना भी जरूरी है इसलिए कोऑपरेटिव मेंबर को मुफ्त ट्रेनिंग दी जाती है, इसमें मवेशियों की देखरेख दी जाती कैसे करें और अन्य चीज बताई जाती हैं ट्रेनिंग प्रोग्राम से किसानों की बड़ी मदद होती है मवेशियों को दिन में तीन बार चार बार न्यूट्रल न्यूट्रिएंट्स दिया जाता है यहां केवल फीड प्लांट लगाए हैं प्रोटीन फैट मिनरल को मिलाकर मवेशियों के लिए चार बनता है, चारा बनाने वाले प्लांट की मशीनरी को डेनमार्क से इंपोर्ट किया गया है किसानों के लिए सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटैलिटी का भी सुविधा है, को ऑपरेटिव नए इक्विपमेंट खरीदने के लिए किसानों को सब्सिडी देता है, जैसे दूध निकालने वाली ऑटोमेटिक मशीन 40,000 की आती है. सब्सिडी से इसका दाम आधा हो जाता है, अमूल्य ने दूध सस्ता किया है इस बदलाव का असर तुरंत दिखाई देगा अमूल दूध अब पहले से कम दाम में मिलेगा लोगों को इससे राहत मिलेगी दूसरी कंपनियों पर भी दाम घटाने का दबाव पड़ सकता है.

 

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