दिल्ली की 12 सीटों पर AAP के लिए चुनौती बनी कांग्रेस
राहुल गांधी ने भी दिल्ली के सीलमपुर में अपनी पहली चुनावी रैली पर साफ मैसेज दे दिया था. दिल्ली में विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार खत्म हो चुका है अब सभी को 5 फरवरी की वोटिंग का इंतजार है. तीनों ही प्रमुख दल आम आदमी पार्टी बीजेपी और कांग्रेस ने जमकर चुनाव प्रचार किया है और 8 फरवरी आने वाले नतीजे से दिल्ली के दंगल का फैसला हो जाएगा. लेकिन दिल्ली की 70 में से 12 सिम ऐसी है. जहां सत्ताधारी AAP को बीजेपी बल्कि कांग्रेस चुनौती देती दिख रही है,vऔर जहां दोनों पार्टियों के बीच सीधा मुकाबला है. कुल सीटों में से 30 सीट पर कांग्रेस ने फोकस किया है, ताकि दिल्ली में खोए हुए जनाधार को वापस हासिल किया जा सके.
कांग्रेस ने बनाई खास रणनीति
दिल्ली में 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में खाता तक नहीं खोल पानी वाली कांग्रेस ने 2025 के विधानसभा चुनाव में नए जोश और उत्साह के साथ प्रचार किया. कांग्रेस ने खुद को AAP के लिए चुनौती के तौर पर पेश किया है. उस बीजेपी के लिए नहीं जो पिछले दो कार्यकाल से दिल्ली विधानसभा में एकमात्र विपक्षी पार्टी थी. AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनके साथियों पर कांग्रेस के नेता निशान साथ रहे हैं. इस तरह दिल्ली में ज्यादातर सीटों पर चुनावी मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है.
AAP और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई
राजधानी की कुछ सीटों सिम तो ऐसी है जहां AAP और कांग्रेस के बीच सीधी लड़ाई है. दिल्ली में जमीन खो चुकी कांग्रेस ने रणनीति तौर पर 25 से 30 सीटों को को फोकस में रखकर चुनाव लड़ा है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी दलित और मुस्लिम बहुल सीटों पर प्रचार किया और इन रेलिया में संविधान के साथ आरक्षण जैसे मुद्दों पर जोर दिया. राहुल गांधी 2020 में हुए दिल्ली दंगे से प्रभावित इलाकों में भी गए. ताकि दलित मुस्लिम वोटर्स को अपनी पोल में लाया जा सके. वर्ग कभी कांग्रेस का पारंपरिक वोटबैंक माना जाता था, और अब इन्हीं के जरिए पार्टी आप को चुनौती देने की कोशिश में है जिनका दिल्ली की 12 सीटों पर काफी प्रभाव है. इंडिया ब्लॉक की दो पार्टियों को एक ही वोट बैंक के लिए जंग लड़ते देखना दिलचस्प हो सकता है.
राहुल गांधी ने सीलमपुर में की थी पहली रैली
राहुल गांधी ने भी दिल्ली के सीलमपुर में अपनी पहली चुनावी रैली कर साफ मैसेज दे दिया था नॉर्थ ईस्ट इलाके की इस सीट पर 57 की साड़ी मुस्लिम वोटर है. और पहले यह कांग्रेस का गढ़ था. हालांकि साल 2015 और 2020 और दोनों ही चुनाव में आम आदमी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. आम आदमी पार्टी के चौधरी जुबेर अहमद सीलमपुर में कांग्रेस प्रत्याशी अब्दुल रहमान के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं अब्दुल रहमान इस सीट से मौजूदा विधायक है, जो चुनाव से ठीक पहले ही कांग्रेस का हाथ थाम चुके हैं.
दिल्ली में गांधी की रैली
दिल्ली में निकली राहुल गांधी की रैली को ‘जय भीम जय संविधान’ का नाम दिया गया. जिससे पार्टी ने दलित वोट बैंक में सेंड करने की कोशिश की, इसी तरह मुस्लिम बहुल सीटों पर भी कांग्रेस लगातार AAP की मुद्दे प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरी है. इनमें 60 फ़ीसदी मुस्लिम वोटर वाली मीडिया महत्व 50% ओखला 52% और चांदनी चौक 30% जैसी सीट शामिल है.
कांग्रेस के लिए अस्तित्व बचाने की लड़ाई
कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने भी रविवार को सीमापुरी में चुनावी रैली की थी. जहां उन्होंने अरविंद केजरीवाल की तुलना पीएम नरेंद्र मोदी से करते हुए उन पर निशाना सदा था. कांग्रेस बदली सुल्तानपुर माजरा, बाबरपुर और मुस्तफाबाद जैसी बाहरी दिल्ली की सीटों पर प्रवासी मजदूर मुस्लिम और दलित वॉटर का काफी प्रभाव है. इसी वजह से इन सीटों पर प्रचार के दौरान राहुल गांधी ने आम आदमी पार्टी संयोजक अरविंद केजरीवाल पर तीखे हमले किए कांग्रेस जानती है, कि अस्तित्व बचाने की इस लड़ाई में पूरा दम लगाना होगा, क्योंकि एक समय में पार्टी ने राजधानी पर 15 साल तक लगातार राज किया था. साल 2013 में जब यह आम आदमी पार्टी दिल्ली की चुनावी राजनीतिक में कोई दी है तभी से कांग्रेस को कीमत चुकानी पड़ रही है. साल 2013 के चुनाव में आम आदमी पार्टी को 30 फ़ीसदी मौत वोट मिले थे, तो वहीं कांग्रेस को वोट शेयर गिरकर 25 फ़ीसदी पर आ गए आगे भी यह गिरावट जारी रही और 2015 में कांग्रेस को सिर्फ 9.7 फ़ीसदी वोट मिले उसके बाद तो कांग्रेस गलत में चली गई है. और 15 साल लगातार सत्ता पर काबिज रहने वाली पार्टी को 2020 में सिर्फ 4.3 फ़ीसदी वोट हासिल हुए.
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