भारत का व्यापार घाटा नवंबर 2024 में बढ़कर 37.84 बिलियन डॉलर हो गया है
भारतीय इकोनॉमी के लिए एक बुरी खबर सामने आई है देश का व्यापार घाटा पहले से लगाए गए अनुमान को पार कर गया है जो ग्रंथ के लिहाज से चिंता का विषय है. भारत का व्यापार नवंबर 2024 में बढ़कर 37.84 बिलियन यानी ₹3 लाख 21 हजार करोड रुपए हो गया है जो अर्थशास्त्र द्वारावर्ग सर्वे में अनुमानित 23 बिलीयन यानी 195000 करोड़ के मुकाबले कहीं अधिक है. यह अंतर मुख्य रूप से आयात में वृद्धि और निर्वात में कमी के कारण हुआ है, अक्टूबर 2024 में यह घाटा 27.1 बिलियन डॉलर था.
इस वजह से आई गिरावट…..
अप्रैल से नवंबर 2024 के दौरान माल निर्यात में साल 10 साल 2.17% की वृद्धि हुई लेकिन इस अवधि में आयात 8.35% की तेज दर से बड़ा जिससे व्यापार संतुलन और गहरा हो गया नवंबर में माल निर्यात 32.11 बिलीयन डॉलर रहा, जो अक्टूबर के 39.2 बिलियन से कम था जबकि आयात 66.34 बिलियन डॉलर से बढ़कर 69.95 बिलियन डॉलर हो गया. निर्यात में गिरावट का एक प्रमुख कारण पेट्रोलियम उत्पादकों के निर्यात में बड़ी कमी रही, अप्रैल से नवंबर में 2024 के बीच पेट्रोलियमउत्पादकों का निर्यात स्थल 18.9% काम हुआ. यह गिरावट मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों में आई कमी के कारण हुई कॉमर्स सचिव सुनीलबरेवाल ने कहा कि पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों से अभूतपूर्व गिरावट ने नवंबर में साल निर्यात को प्रभावित किया है. शादी के सीजन में दिखी अधिक मांग हालांकि गैर पेट गैस पेट्रोलियम निर्यात में वृद्धि देखी गई नवंबर 2024 में गैस पेट्रोलियम निर्यात 28.40 बिलियन था, जो नवंबर 2023 के 26 पॉइंट 30 बिलियन डॉलर से अधिक है. यह वृद्धि मुख्य रूप सेतिवारी और शादी के सीजन में मजबूत मांग के कारण हुई जब मंत्रालय के अनुसार भारत का गैस पेट्रोलियम निर्यात और सेवाएं वित्तीय वर्ष के अंतिम चार महीना में मजबूत प्रदर्शन जारी रखेगी मंत्रालय ने यह भी कहा कि भारत इस साल 800 बिलियन डॉलर के निर्यात को पार करने की राह पर है.
मंत्रालय ने जारी किया रिपोर्ट
आयात में वृद्धि पर टिप्पणीकरते हुए मंत्रालय ने बताया कि भारत में वस्तुओं की मांग व्याख्यिक औसत से अधिक है. भारतीय अर्थव्यवस्था 7% की दर से बढ़ रही है जबकि रैखिक विकास दर 3.5% है इससे आयत की उच्च मांग बनी हुई है. हालांकि, व्याख्यिक स्तर पर भारतीय निर्यात की मांग अपेक्षाकृत कम रही हैका मानना है कि प्रत्यक्ष विदेशीएफ एफडीआई और निर्यात में बढ़ोतरी देश के आयात कोविकसित करने में मदद करेगी कुछ आयात जैसे कि कच्चे माल और मध्यवर्ती उत्पादन भारत की निर्यातअधिक आधारित उद्योगों के लिए आवश्यक है वहीं नवंबर में सोने का आयात रिकॉर्ड 14.8 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया. जो निवेश को की मजबूत मांग का परिणाम है अप्रैल से नवंबर 2024 के दौरान सोने का आयात पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में 49.08% बाद सोने की आयत में इस वृद्धि का कारण बढ़ती सोने की कीमतें सीमा शुल्क में 15% सेप्रतिशत की कमी और शादी के सीजन की मांग और भू राजनीतिकअनिश्चित रही.
पेट्रोलियम कीमतों में गिरावट से निर्यात पर काफी हद तक असर….
हालांकि, अच्छी बात यह है, कि गैर पेट्रोलियम उत्पादकों में करीब 8% की वृद्धि हुई है जो इस बात का संकेत है, की मांग बरकरार है बटवाल ने सोमवार को संवाददाताओं को बताया इस क्रिसमस पर निर्यात की मांग बढ़ रही है जिसका मतलब है कि गैर पेट्रोलियम भारतीय उत्पादकों की मांग लगातार बढ़ रही है नवंबर के दौरान पेट्रोलियम निर्यात 49.6 प्रतिशत घटकर 3.7 बिलियन रह गया इसके अलावारतन औरआभूषण एक और महत्वपूर्ण निरुपत वस्तु है जिसमें 26% की भारी गिरावट देखी गई है और यह 2.06 बिलियन डालर रह गई है निर्यात में वृद्धि देखने वाले प्रमुख उत्पादों में इंजीनियरिंग सम्मान (13.7%), गर्ल्स (1.1%), इलेक्ट्रॉनिक सामान (54.7 प्रतिशत) और रेडीमेड गारमेंट्स 9.8 प्रतिशत शामिल है आंकड़ों के अनुसार भारत ने नवंबर में 14.9 बिलियन डॉलर का सोना आयात किया जो कुल आयात का पांचवा हिस्सा है वाणिज्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि कीमती धातु के आयात में उछाल की वजह कीमतों में करीब 30 फ़ीसदी का बढ़ोतरी है अतिरिक्त सचिव और सत्य श्रीनिवास ने संवाददाताओं से कहा नवंबर 2024 तक सोना सबसे अच्छा प्रदर्शन करने वालाशक्तियों में से एक के रूप में प्रचलित हुआ है अधिक आयात एक सुनिश्चितप्रिंस प्रत्यय के रूप में सोने में निवेश को के विश्वास के कारण भी है इसी की मुख्य अर्थशास्त्री तथाएवं आउटरीच प्रमुख अतिथि नारायण ने कहा कि सोने के आयात का इतना उच्च स्तर संभव तिवारी और विभव संबंधी मांग के कारण है तथा आगामी कहां कहीं में इसमें बरकरार रहने की संभावना नहीं है, जिससे आगामी वस्तु व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी।
नायर ने कहा….
22 नवंबर 2024 के लिए प्रतिकूल व्यापार घाटे के परिणाम स्वरुप भारत के चला खाता घाटे में वित्त वर्ष 25 की तीसरी तंबाही में अपेक्षा से अधिक प्रति होगी और यह जीडीपी के 2.8 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा जबकि पहले दो प्रतिशत की उम्मीद थी जो पिछले दो वर्षों में सबसे अधिक स्टार होगा हमने सीआईडी के लिए अपने वित्त वर्ष 25 के पूर्वानुमान की भी पहले के 1% से अधिक घर जीडीपी के 1 पॉइंट 4% पर ला दिया था भारतीय निर्यात संगठनों के महासंघ के अध्यक्षअश्विनी कुमार ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय व्यापार में जारीव्यवधानों के साथ-साथ कच्चे तेल और धातु की कीमतों में उधर से डालने भी कुछ हद तक निर्यात के मूल्य में गिरावट महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है कुमार ने कहा, इसराइल और ईरान के बीच बढ़ते चुनाव के कारण अंतरराष्ट्रीय व्यापार के संबंध में लगातार चुनौतियां उत्पन्न हो रही है क्योंकि यूरोप, अफ्रीका और खाड़ी क्षेत्र के साथ हमारा अधिकांश व्यापार लाल सागर मार दिया खाड़ी क्षेत्र के मध्य से हो रहा है जिससे खरीदारों के पास थोड़ा बड़ा स्टॉक होने लगा है.
आखिर जनता पर क्या होगा असर……
व्यापार घाटे के इस कदम कदर बढ़ाने यानी निर्यात के मुकाबले अधिक आयात होने का सबसे बड़ा कारण यह है कि देश अपनी जनता की जरूरत के लिए पर्याप्त मात्रा में वस्तुओं और सेवाओं का उत्पादन नहीं कर पा रहा है. इसके दूसरे देशों से इसकी भरपाई करनी पड़ रही है जाहिर है कि यह वस्तुएं और सेवाएं देशवासियों के लिए महंगी पड़ेगी इससे देश में महंगाई बढ़ेगी आयात के लिए विदेशी मुद्रा कीजल्दी खोलनी होगी इससे विदेशी मुद्रा भंडार काम होगा इसकी भरपाई के लिए डॉलर जीतने होंगे और रुपया कमजोर होगा जिस सेक्टर में अधिक आयात हो रहा है, उन क्षेत्रों की भारतीय कंपनियां कमजोर पड़ेगी और वहां रोजगार का संकट पैदा हो सकता है, भारत सबसे ज्यादा निर्यात अमेरिका को कर रहा है, उसके बाद संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड और यूके का नंबर आया है, आयत की बात करें तो चीन पहले पायदान पर है.