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सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू को poor lady कहा 

सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू को poor lady कहा 

सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू को poor lady कहा

संसद में शुक्रवार को बजट सत्र से पहले राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू के अभीभाषण के बाद सोनिया गांधी ने इस तरह के बयान दिए हैं. जिनको लेकर कहा जा रहा है, कि यह समिति मानसिकता के अलावा और कुछ नहीं है. सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति के लिए पुर लेडी यानी बेचारी शब्द का इस्तेमाल किया और कहा कि राष्ट्रपति का अभी भाषण बहुत बोरिंग था. आखिर में वह बहुत थक गई थी. बेचारी वह मुश्किल कुछ बोल पा रही थी. सोनिया ने इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर हंगामा मच गया है सोनिया गांधी को लेकर काफी तीखी प्रतिक्रियाएं दी गई राष्ट्रपति भवन ने भी सोनिया को की टिप्पणी को अवांछनीय और असावी कार्य करार दिया इसके अलावा द्वारका में एक रैली को संबोधित करते हुए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि देश के एक शाही परिवार का एक सदस्य आदिवासी समुदाय की बेटी के भाषण को बोरिंग कहता है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच राजनीतिक हीनता कृषि अपनी जगह है. लेकिन सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू पर टिप्पणी करते हुए शब्दों का ख्याल नाग रखकर विवाद को नेता दिया है. यह मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है. क्योंकि वे नेता सिर्फ एक वरिष्ठ बालिका एक गंभीर राजनेता है. जिन्हें संसदीय परंपराओं के बीच रहने का लंबा अनुभव है. ऐसे में राष्ट्रपति के अभी भाषण पर टिप्पणी करने के बजाय सीधे राष्ट्रपति पर टिप्पणी करके उन्होंने अफ्रीका वक्त दर्शी है.

 राष्ट्रपति के लिए poor lady का संबोधन

 सोनिया गांधी देश की वरिष्ठतम नेताओं में से एक है जिन है. यूपीए एक और उप दो सरकार की चेयरपर्सन के रूप में देश को मुश्किल के समय में चलने का श्रेय जाता है. इसके अनुभवी नेता ने के लिए राष्ट्रपति के लिए इस तरह का शब्द का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता है. ऐसा नहीं है, कि उन्हें राष्ट्रपति की क्या मर्यादा होती है. उसकी जानकारी नहीं है बात सिर्फ इतनी है. कि कांग्रेस विशेष कर गांधी परिवार के लोग अब भी यह समझते हैं. कि देश के लिए सबसे अधिक महत्वपूर्ण हुए खुद हैं.
सोनिया गांधी ने राष्ट्रपति मुर्मू को poor lady कहा 
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 सरकार के कामकाज का लेखा-जोखा

यूपीए के 10 साल के कार्यकाल में क्या राष्ट्रपति के अभी भाषण के किसी तरह का इनोवेशन हुआ था यदि किसी को राष्ट्रपति का अभी भाषण बोरिंग लगता है. तो वह अतीत से बोरिंग रहा है. कांग्रेस सरकारों के कार्यकाल में भी वह ऐसा ही था. क्योंकि अभी भाषण में सरकार के कामकाज का ही लेखा-जोखा होता है. इसलिए जाहिर है कि विपक्ष उसे पर अपना विरोध तर्ज करता है लेकिन इसे बोरिंग कहना है, तो ऐसा है. मानो कि उसे मनोरंजन होना चाहिए देश ने कुल 14 राष्ट्रपति अभी तक देखे हैं. उसे और सभी ने सरकार के लिखित अभिभाषण को पढ़ने की परंपरा का ही पालन किया है. हां सब की भाषण शैली अलग-अलग होती है. राष्ट्रपति मुर्मू उड़ीसा के आदिवासी अंचल से आती हैं उनकी मातृभाषा उड़ीसा होने के बावजूद उन्होंने हिंदी में भाषण दिया है. ऐसे में सोनिया गांधी यह भले बोरिंग लगा हो. लेकिन राष्ट्रपति मुर्मू का भाषण कई महीनो में अनुकरणीय है. देश ने तो पूर्व पीएम मोहन सिंह का दौर भी देखा है. मनमोहन सिंह की स्पीच चाहे लोकसभा में हो या लाल किले की प्राचीन से हो उसे भी सुना मुश्किल ही होता था. पर पूरा देश ही नहीं विपक्ष भी उन्हें ध्यान से सुनता था विपक्ष के किसी नेता ने उनकी शैली और उनके स्पीच को लेकर इस तरह की टिप्पणी नहीं की थी.

सोनिया गांधी एक वरिष्ठ नेता…

जब कोई बड़ा नेता कुछ बोलता है. तो उसके समर्थकों में अपने नेता को सही साबित करने की हॉट लग जाती है. ऐसा ही कुछ हुआ पप्पू यादव के साथ भी सोनिया गांधी की टिप्पणी के बाद कांग्रेस नेता और निर्दलीय सांसद पप्पू यादव कहां पीछे रहने वाले थे. उन्होंने राष्ट्रपति द्रोपति मुर्मू की स्पीच पर अभद्र टिप्पणी कर दी पप्पू यादव ने कहा कि बेचारी राष्ट्रपति एक स्टांप की तरह है. उन्हें तो सिर्फ लव लेटर पढ़ना आता है. पप्पू कहते हैं कि उनका काम केवल गुणगान करना है. वह सवाल उठाते हैं की अर्थव्यवस्था डिमॉनेटाइजेशन, काला धन, 15 लख रुपए, दो करोड़ नौकरियां, आयुष्मान जन धन योजना, एसपी, मणिपुर, अग्नि वीर, आरक्षण, जाति जनगणना को लेकर बीजेपी क्यों नहीं बातें करती है, सवाल यह उठता है. कि क्या पप्पू यादव को पता नहीं है. कि राष्ट्रपति वही बोलता है जो उसे पढ़ने को दिया जाता है.
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देश की महामहिर का अपमान किया पप्पू यादव ने

 पप्पू यादव को देश की महामही का अपमान करने से पहले अपने पूर्व राष्ट्रपतियों के बारे में थोड़ा अध्ययन करना चाहिए देश में पहले राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद, दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन, एसपीजी अब्दुल कलाम आदि कुछ राष्ट्रपतियों को छोड़ दें, तो कांग्रेस के समय अधिकतर ऐसे राष्ट्रपतियों को ही इस सर्वोच्च पद पर पहुंचाया गया है. जिसे सरकार को कोई खतरा न हो इसके साथ ही देश में राष्ट्रपति ऐसे ही किसी शख्स को चुने जाने की परंपरा रही है.

 

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