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होलिका दहन 2025: अग्नि दहन के लिए रहेगा सिर्फ 1 घंटा, 11:26 तक रहेगी भद्रा

होलिका दहन 2025: अग्नि दहन के लिए रहेगा सिर्फ 1 घंटा, 11:26 तक रहेगी भद्रा

होलिका दहन 2025: अग्नि दहन के लिए रहेगा सिर्फ 1 घंटा, 11:26 तक रहेगी भद्रा

होलिका दहन में तिथि मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है. लेकिन होलिका दहन पर इस पर 10:35 से रात 11:26 मिनट तक भद्रा का रहेगा साया। शास्त्रों के अनुसार होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं करना चाहिए, इसलिए लोगों मेंअंशमंजन की स्थिति बनी रहती है. आखिर भद्रा का साया रहने पर होलिका दहन के लिए शुभ मुहूर्त क्या होगा, जानते हैं News Spirtual की पूरी खबर.
होलिका दहन पूर्व बुराई पर अच्छाई की जीत के तौर पर मनाया जाता है और हर वर्ष यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है, तथा यह भी कहा जाता है, की विधि पूर्वक और नियमों से होलिका दहन किया जाए तो सभी परेशानियों और चिंता उसी अग्नि में स्वाहा हो जाती है, इससे परिवार में सुख शांति आती है, इस वर्ष का सभी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस दिन विष्णु और माता लक्ष्मी की तथा चंद्र देव की भी पूजा की जाती है इससे मानसिक शांति में बढ़ोतरी होती है.


भद्र का समय

हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास में पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जाता है. इसके अगले दिन चरित्र कृष्ण प्रतिपदा में रंग दुलंडी का पर्व मनाया जाता है. इस बार 13 मार्च गुरुवार को होलिका दहन किया जाएगा, और 14 मार्च को रंग का त्यौहार मनाया जाएगा। भूषण के अनुसार है 13 मार्च को पूर्णिमा पर आता है 10:38 से गति योग भूल योग वाणिज्य करणवशीकरण पूर्वा फालगुन नक्षत्र में प्रारंभ होगा। 14 मार्च शुक्रवार दोपहर 12:27 तक रहेगी भद्रा 13 मार्च को प्राप्त है, 10:38 से प्रारंभ होकर रात्रि 11:30 पर समाप्त होगी। ज्योतिषाचार्य विभोर ने बताया 13 मार्च को उच्च तिथि को चतुर्दशी है. लेकिन 13 मार्च को सुबह 10:35 से पूर्णिया लग जाएगी 13 मार्च की सुबह 10:35 से 14 मार्च दोपहर 12:24 तक पूर्णिमा व्याप्त रहेगी औरशास्त्र के नियम के अनुसार कल के समय पूर्णिमा 13 मार्च को उपस्थिति रहेगी। इसलिए होलिका दहन 13 मार्च को किया जाएगा, 13 मार्च होली का दहन वाले दिन सुबह 10:35 से रात 11:29 तक भद्रा रहेगी।


होलिका दहन 2025: अग्नि दहन के लिए रहेगा सिर्फ 1 घंटा, 11:26 तक रहेगी भद्रा

भद्राकाल में क्या न करें

भद्राकाल को असुभ समय मन है, ऐसे में कोशिश करें, कि जिस समय भद्र लगी हो उसे समय में घर में बंधन नहीं दिया जाता है. यानी इस दिन एक नए घर को निर्मित नहीं किया जाता और ना ही छत डालने का काम किया जाता है. पत्रकाल में शादी और कार्ड भी शुभ कार्य ने तो फाइनल करना चाहिए। वह किसी शुभ कार्य का आयोजन करना चाहिए, इसके अलावा व्यापार वर्ग के लोगों को इस दिन कोई भी नई डील फाइनल नहीं करनी चाहिए और नहीं इस दिन कोई योजना बनानी चाहिए। भद्रा काल में यात्रा नहीं करनी चाहिए, इस दौरान अपनी किसी धार्मिक यात्रा या कामकाज के सिलसिले मेंकोई भी यात्रा की शुरुआत न करें, भद्राकाल में विशेष उसे बात का ध्यान रखें की कोई नया वाहन ने खरीदे, होली पर भद्राकाल के दौरान विष्णु की पूजा मित्रों का जाप किया जाता, तथा यह बहुत ही लाभदायक भी है. भद्रा काल में कुल देवी देवता औरगुरु मंत्र का जब भी कर सकते हैं, इसी के साथ महामृत्युंजय मंत्र का जाप, शनि मंत्र का जब भी करना विशेष लाभकारी होता है.

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