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सिनेमाघर से लेकर ओटीटी तक हर तरफ पुष्पा 2

सिनेमाघर से लेकर ओटीटी तक हर तरफ पुष्पा 2

सिनेमाघर से लेकर ओटीटी तक हर तरफ पुष्पा 2

अल्लू अर्जुन की इस फिल्म ने कमाई के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. फिल्म ने भारत में 1000 करोड़ से ज्यादा का कारोबार किया है. जो अब भी जारी है वही दुनिया भर में पुष्पा 2 ने करीब 2000 करोड रुपए कमाए हैं. यह फिल्म लाल चंदन तस्कर पुष्पा पर आधारित है. जिसमें शेषाचलम जंगलों में चंदन लकड़ी की तस्करी और फिर ग्लोबल मार्केट में उसे होने वाली कमाई के आसपास की कहानी दिखाई गई है. लेकिन क्या देश में वाकई कोई ऐसी जगह है. जहां एसी बसें कीमती लाल चंदन पैदा होता है और विदेशों में इस लकड़ी की कीमत आखिर कितनी होती है.

1 किलो की कीमत 1 से 2 लाख तक

आंध्र प्रदेश के शेषाचलम जंगल से सबसे हाई क्वालिटी का लाल चंदन होता है. जहां की कहानी इस फिल्म में दर्शी गई है कडप्पा और तिरुपति जिले में यह पूरा जंगल फैला हुआ है, जो लाल जो लाल चंदन की तस्करी का गढ़ माना जाता है. यहां का चंदन चीन, जापान और रूस जैसे देशों में भेजा जाता है जहां इस वाक्य यंत्र, औषधि और फर्नीचर तैयार करने में इस्तेमाल किया जाता है. वैसे तो चंदन की कीमत 50 से 70000 रुपए प्रति किलो होती है. लेकिन उच्च गुणवत्ता वाले 1 किलो लाल चंदन की कीमत ग्लोबल मार्केट में एक से दो लाख तक हो सकती है. हालांकि तस्करी को पूरी तरह से रोकने के लिए सरकार ने जंगलों में लाल चंदन पेड़ों की कटाई और इसके एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से बैन लगा दिया है.

शेषाचलम के जंगल में रक्त चंदन

शेषाचलम का जंगल 5 लाख हेक्टेयर इलाके में फैला हुआ है. और इसमें ज्यादातर पहाड़ी क्षेत्र है खास बात यह है, कि देश में सबसे उन्नत किस्म का लाल चंदन इन्हीं पहाड़ियों में पाया जाता है. जिसे रक्त चंदन या लाल सोना भी कहते हैं. यह लाल चंदन इतना दुर्लभ है कि इन पेड़ों की सुरक्षा में टास्क फोर्स के जवान तैनात रहते हैं. और राज्य में चंदन के पेड़ों की कटाई पूरी तरह से बैन है. हालांकि तस्करी और अन्य कर्म से अब इन पेड़ों की संख्या में 50 फ़ीसदी से ज्यादा की कमी आई है.

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चीन, जापान में होती है बिक्री

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक कुछ साल पहले तक लाल चंदन की लकड़ी से करीब 1200 फ़ीसदी तक मुनाफा होता था. और यही फायदा इस लकड़ी के खत्म होने की वजह बन गया. चंदन तस्करी मोटा मुनाफा कमाने के लालच में अपनी जान जोखी में डालकर हर साल 2000 तन लाल चंदन चेन्नई, टूटी करीz मुंबई और कोलकाता पोर्ट होते हुए नेपाल और तिब्बत के रास्ते चीन के मार्केट तक पहुंचाने थे. बड़ी तादात में चंदन की तस्करी सरसों की खाली नारियल के रेशों और नमक के नीचे में छुपा कर की जाती थी. साल 2015 में इसे रोकने के मिशन में कई तर्कसर एनकाउंटर के दौरान मारे भी गए. इसी को रोकने के लिए तस्करी करते पाए जाने पर 11 साल जेल की सजा का प्रावधान किया है.

चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल

इस लकड़ी का इस्तेमाल शुरुआत में देवी देवताओं की तस्वीर फ्रेम करने या देबो बनाने के लिए किया जाता था. लेकिन साल 1994 में आंध्र प्रदेश की सरकार ने इसकी कटाई और राज्य से बाहर ले जाने पर बैन लगा दिया. हालांकि, फिर भी तस्करी को रोकने के लिए यह कदम काफी नहीं था चीन और जापान जैसे देश में फर्नीचर बनाने में चंदन की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. और वहां इसकी डिमांड भी ज्यादा है इसके अलावा औषधि इस और शक्ति वर्धक दवा बनाने में भी लाल चंदन का इस्तेमाल होता है इन जरूर ने ही इस लकड़ी का दुर्लभ बना दिया है जिसने मोटी कमाई का रास्ता खोल दिया था.

इतिहास न बन जाए लाल चंदन

जंगलों की कटाई तस्करी और फसल की पैदावार की वजह से लाल चंदन विलुप्त होने की कगार पर है चंदन के एक पेड़ को पूरी तरह से तैयार होने में करीब 40-50 साल का वक्त लगता है इसके विपरीत मुनाफा कमाने के मकसद से गैर कानूनी कटाई लगातार होती है. इस वजह से अब यह रक्त चंदन खत्म होने की कगार पर आ गया है यही वजह है कि लाल चंदन को आईयूसीएन इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर की लिस्ट में रखा गया है जिसमें इसकी पैदावार को खतरे के करीब वाली श्रेणी में डाला गया है.

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